लड़ने के लिए चाहिए (कविता)

लड़ने के लिए चाहिए
थोड़ी-सी सनक, थोड़ा-सा पागलपन
और एक आवाज़ को बुलंद करते हुए
मुफ़्त में मर जाने का हुनर

बहुत समझदार और सुलझे हुए लोग
नहीं लड़ सकते कोई लड़ाई
नहीं कर सकते कोई क्रांति

जब घर मे लगी हो भीषण आग
आग की ज़द में हों बहनें और बेटियाँ
तो आग के सीने पर पाँव रखकर
बढ़कर आगे उन्हें बचा लेने के लिए
नहीं चाहिए कोई दर्शन या कोई महान विचार

चाहिए तो बस
थोड़ी-सी सनक, थोड़ा-सा पागलपन
और एक खिलखिलाहट को बचाते हुए
बेवजह झुलस जाने का हुनर

जब मनुष्यता डूब रही हो
बहुत काली आत्माओं के पाटों के बीच बहने वाली नदी, तो
नहीं चाहिए कोई तैराकी का कौशल-ज्ञान

साँसों को छाती के बीच रोक
नदी में लगाकर छलाँग
डूबते हुए को बचा लेने के लिए
चाहिए तो बस

थोड़ी-सी सनक, थोड़ा-सा पागलपन
और एक आवाज़ की पुकार पर
बेवजह डूब जाने का हुनर

बहुत समझदार और सुलझे हुए लोग
नहीं सोख सकते कोई नदी
नहीं हर सकते कोई आग
नहीं लड़ सकते कोई लड़ाई।


रचनाकार : विहाग वैभव
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