लगे चटोरे दिन (नवगीत)

मैंने देखा
मैंने पाया
लगे चटोरे दिन।

रबड़ी सी धूप लगती
कलाकंद सी छाँव।
है शहर की सरहद में
उकड़ू बैठा गाँव।।

दुर्घटना की
जब आशंका
तब झकझोरे दिन।

काली-काली लदी हुई
पेड़ों पर जामुन।
बादल गरजे, झरनों को
होता है शाकुन।।

मीठे-मीठे
फल सपनों के
लगा बटोरे दिन।

भोर हुई तो सपना टूटा
दिन ऊगा है।
मेष-धनु-मीन-वृश्चिक
ने पहना मूँगा है।।

हँसी-ख़ुशी का मौसम
डाल रहे हैं
डोरे दिन।


लेखन तिथि : 2020
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