निराशा के कई रंग हैं
जिसे कभी का नष्ट हो जाना चाहिए था
वह अभी तक जीवित है
जो भुला दिया गया था
फिर से याद आ रहा है
जो चला गया था जैसे हमेशा के लिए खो गया हो
वही लौटता दिखाई दे रहा है
महान देश का महान मध्यवर्ग
लिख सकते हो क्या इसके बारे में
बिना कोई टुकड़ा किए दिमाग़ का
हृदय को बिना छीले
निपात के छद्म सौंदर्य में धकेलते हुए
दुर्बलकाय आम जन को
लिख सकते हो सबसे सुरक्षित संवेगों वाले
बैंक बैलेंस के होते
प्रसन्न होते शेयरों और सोने की उछाल में
लिख सकते हो एसी में पलायन करते
सुसज्जित कक्षों कारों की समय और मौसम
रौंदतीं निश्चिंतताओं में
एक क्षण भी नहीं लगता समय के अंतराल को पाटने में
भूलने में भय की दुर्निवार मौजूदगी
लिख सकते हो क्या अन्याय और असमानता के
सबसे ऊँचे शिखर पर पहुँचकर
सारे दिशाभ्रमों में से सघनतम होता है
रोशनी का अंधकार
लिख सकते हो क्या धनलिप्सा के
प्रदर्शनकारी मंडप में समाजवाद की पूर्णाहुति के बारे में
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