माँ अम्बे स्तुति (पंचचामर छंद)

नमामि मातु अम्बिके त्रिलोक लोक वासिनी!
विशाल चक्षु मोहिनी पिशाच वंश नाशिनी!!
समस्त कष्ट हारिणी सदा विभूति कारिणी!
अनंत रूप धारिणी त्रिलोक देवि तारिणी!!

सवार सिंह शेष पे महाबला कपर्दिनी!
असीम शक्ति स्त्रोत मातु चण्ड मुण्ड मर्दिनी!!
भुजा विशाल भव्य भाल हस्त शूलधारिणी!
कराल काल क्रोध ज्वाल सिंह सी दहाड़नी!!

त्वमेव आदिशक्ति मातु शैलजा कपालिनी!
उमा-रमा महोदरी त्वमेव देवि मालिनी!!
शिरोमणी जलोदरी तपश्वनी सुवासिनी!
त्वमेव रिद्धि सिध्दि और मोक्ष की प्रदायिनी!!

सुगौर गात तीक्ष्णदंत देवि अट्टहासिनी!
महातपा सती शिवा त्वमेव विंध्यवासिनी!!
भजामि ब्रम्हवादिनी सुमातु ज्ञानदायिनी!
नमो नमो कृपालिनी प्रणम्य सिंहवाहिनी!!


लेखन तिथि : 25 मार्च, 2021
यह पृष्ठ 276 बार देखा गया है
×
आगे रचना नहीं है


पीछे रचना नहीं है
कुछ संबंधित रचनाएँ


इनकी रचनाएँ पढ़िए

साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।

            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें