थाम के दुःख का दामन,
जो दुनिया दिखलाती हैं।
सच, माँ तो केवल माँ है,
हर दुखड़े हर जाती हैं॥
जिस आँचल के दूध तले,
इस जीवन की आस पले।
ला, गोद धरी थी दुनिया,
सपने थें आकाश खिले।
दी सीख भली आदत की,
जो हरदम जितवाती है।
सच, माँ तो केवल माँ है,
हर दुखड़े हर जाती हैं॥
जीवन से जिसकी यारी,
कितनों की ज़िम्मेदारी।
संस्कारों को पाल रही,
बन लोक-लाज की नारी।
भले करे हम ग़लती पर,
वो पल-पल अपनाती हैं।
सच, माँ तो केवल माँ है,
हर दुखड़े हर जाती हैं॥
बढ़ते क़दम देख के माँ,
मंद-मंद मुस्काती हैं।
गिर न जाए लाल मेरा,
कह, थोड़ा सकुचाती हैं।
शिकवों का तो नाम नहीं,
वो ममता बरसाती हैं।
सच, माँ तो केवल माँ है,
हर दुखड़े हर जाती हैं॥
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