माँ का प्यार (कविता)

रात भर जाग कर सुलाया है मुझे,
अपने हाथों से खिलाया है मुझे।
गिर कर संभलना, समझाया है मुझे,
ज़िन्दगी को जीना, सिखाया है मुझे।

वो मेरे पास ही रहती है,
वो मेरे साथ ही रहती है।
मेरे ग़म में रोती है,
ख़ुशी में हँसती है।
कहाँ है वो, कैसी है वो?
ममता की मूरत है,
भोली सी सूरत है।
प्यार का सागर है,
ख़ुशियों का अंबार है।
वो तेरी माँ है, वो मेरी माँ है,
वो हम सब की माँ है।


रचनाकार : दीपक झा 'राज'
लेखन तिथि : 15 अप्रैल, 2002
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