माँ मेरी है प्रेरणा (दोहा छंद)

ममता करुणा हृदय तल, स्नेह सुधा उर पान।
माँ जननी धरती समा, तू जीवन वरदान॥

क्षमा दया जीवन कला, तू जीवन सुख छाव।
सुख दुख आपद रक्षिका, अश्क नैन लखि घाव॥

सहनशीलता परिधि माँ, जीती बस सन्तान।
सर ग़म को पीती स्वयं, रखे पूत सुख मान॥

गंगा सम पावन हृदय, स्नेह सलिल रसधार।
मधुशाला ममता नशा, माँ जीवन शृंगार॥

विविध रूप माँ लोक में, प्रीति रीति संसार।
बहू बेटी बहना प्रिया, माँ पत्नी सहचार॥

प्राणवायु सन्तान का, माँ तुम करुणागार।
अवर्णीता अम्ब जग, महिमा अपरम्पार॥

महाशक्ति दुर्गा समा, कृपासिंधु अवलम्ब।
नौ मासें रखती उदर, सहती पीड़ा अम्ब॥

प्रथम शिक्षिका मातु जग, ज्ञान ज्योति आलोक।
सरे सकल बाधा तनय, अवसादन मन शोक॥

सर्जन नित संसार का, माँ जीवन की श्वांस।
तन मन धन अर्पण स्वयं, तुम सन्तति विश्वास॥

लज्जा श्रद्धा सृष्टिजा, कामधेनु सुख देय।
ममतांचल जन्नत सुभग, मातु पुरातन गेय॥

मातृ चरण शत शत नमन, हूँ कृतज्ञ जगदम्ब।
तुम ईश्वर नव शक्तिदा, तू सन्तति अवलम्ब॥

माँ मेरी है प्रेरणा, संसाधन उत्कर्ष।
तुम जीवन संचेतना, सत्प्रेरक संघर्ष॥


लेखन तिथि : 4 मई, 2022
यह पृष्ठ 25 बार देखा गया है
×

अगली रचना

समरस जीवन सहज हो


पिछली रचना

तुम दरिया के पार प्रिय
कुछ संबंधित रचनाएँ


इनकी रचनाएँ पढ़िए

साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।

            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें