माँ शारदे को प्रथम नमन (कविता)

हम वंदन करते सर्व प्रथम तेरे नाम का,
पूजा-पाठ हम करते सरस्वती मात का।
आ जाओ मेरे कंठो में मातेश्वरी शारदा,
हृदय विराजो लाज रखो इस दास का।।

नमन करते अभिनंदन करते माँ शारदे,
हमें ज्ञान और विधा का तुम वरदान दे।
तुमसे ही माता ज्ञान का ये संचार हुआ,
मेरे मन मस्तिष्क में ज्ञान प्रकाश हुआ।।

ऐसे ही बनाएँ रखना माता हम पे कृपा,
सुलझती रहे तुम्हारे नाम से हर विपदा।
हमने साहित्य जगत में जो क़दम रखा,
चरणों में मुझको जगह देना माँ शारदा।।

तुम ज्ञान का भंडार ज्योति का वरदान,
तुमसे ही माँ सब बनता और बिगड़ता।
साज बाज लेख विधा सब सीख पाता,
प्रथम ध्यान हंसवाहिनी का जो करता।।


रचनाकार : गणपत लाल उदय
लेखन तिथि : 14 सितम्बर, 2019
यह पृष्ठ 308 बार देखा गया है
×

अगली रचना

विश्व प्रसिद्ध अजमेर दरगाह का उर्स


पिछली रचना

भारत रत्न लता मंगेशकर
कुछ संबंधित रचनाएँ


इनकी रचनाएँ पढ़िए

साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।

            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें