मैं अभी गाँव गया था
केवल यह देखने
कि घर वाले बदल गए हैं
या
अभी तक यह सोचते हैं
कि मैं बड़ा आदमी बन कर लौटूँगा।
रास्ते में सागौन पीले पड़ गए थे
शायद अपनी पढ़ाई के अंतिम वर्ष में रहे होंगे
उन्हें भविष्य की चिंता रही होगी
मेरा भविष्य
मेरे सीने में है और मेरे गाँव में
बेशरम की झाड़ियाँ और ज़्यादा हरी हो गई हैं
मैं खेतों में जाकर देखना चाहता था
कि कहीं बीस गुना पैदा करने की कोशिश में
मुझे गेहूँ के साथ तो
बो नहीं दिया गया है
और मैं सचमुच
गेहूँ के बीच उगा हुआ था
अब मेरे लिए
ज़्यादा ठहरना ठीक नहीं था।
लौट आया हूँ
पानवाला मामा
कहो कविराज कह कर
मुस्कुरा रहा है।
साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।
सहयोग कीजिएरचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें