सबकी जानी पहचानी
सबकी प्यारी अपनी अपनी
भावना मैं मन की
भाषा मैं जन जन की
व्यक्त मैं, अभिव्यक्त मैं
सार मैं, अभिसार मैं
सर्व साधारण का आधार मैं
सरल हूँ, सहज हूँ
चाहे तोड़ो, चाहे मरोड़ो
फिर भी लिए अपनत्व हूँ
मैं हिंदी हूँ।
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