साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
देहरादून, उत्तराखण्ड
1983
जैसे लौट आती हैं ऋतुएँ जैसे लौटती हैं हर शाम चिड़ियाँ घोंसले में जैसे लौटती है गाय अपने बछड़े के पास गोधूलि में जैसे लौट आता है बचपन नाती-पोते के रूप में हाँ मैं लौट आऊँगी एक दिन— जैसे लौटती है एक मीठी याद बस तुम बचाए रखना मेरे लौटने तक पुनर्मिलन की इच्छा
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