मँझधार फँसी नैया (गीत)

मँझधार फँसी नैया, उद्धार करा देना।
जीवन की कश्ती को, प्रभु पार लगा देना॥

सुख-दुःख ही जीवन है, मन को समझाना है।
संघर्ष भरा बीहड़ वन, लड़ते ही जाना है॥
अंतस में साहस का, अंबार लगा देना।
जीवन की कश्ती को, प्रभु पार लगा देना॥

उर निर्मल बन पाए, वरदान हमें देना।
अभिमान न हो मन में, सदज्ञान हमें देना॥
दुष्चिन्तन को मन से, प्रभु दूर भगा देना।
जीवन की कश्ती को, प्रभु पार लगा देना॥

दुष्कर्मों से भगवन, मुझे दूर ले जाओगे।
परहितमय हो जीवन, सन्मार्ग दिखाओगे॥
कल्मष कषाय मन से, प्रभु दूर हटा देना।
जीवन की कश्ती को, प्रभु पार लगा देना॥

प्रभुवर सद्चिंतन से, सद्भाव जगाएँगे।
मन तुझमें रम जाए, कर्तव्य निभाएँगे॥
हो भूल अगर हमसे, दिल से न लगा लेना।
जीवन की कश्ती को, प्रभु पार लगा देना॥


रचनाकार : उमेश यादव
लेखन तिथि : 21 मई, 2024
यह पृष्ठ 179 बार देखा गया है
×

अगली रचना

स्नेह भरे आँचल में माते


पिछली रचना

बुद्धि विवेक सृजन की देवी
कुछ संबंधित रचनाएँ


इनकी रचनाएँ पढ़िए

साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।

            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें