मन को युवा कीजिए (कविता)

जिंदगी भर रब से
बस यही दुआ कीजिए,
ढलते यौवन की फ़िक्र छोड़िए
अपने मन को युवा कीजिए।

कर्तव्य पथ पर चलकर ही मुक्ति मिलेगी,
इस मार्ग पर ही जीवन जिया कीजिए।
जब भी लगे ज़िंदगी बोझ सी,
ख़ुद के लिए कुछ नया कीजिए।

मन की व्याधियों की
तहे दिल से दवा कीजिए,
उम्मीदों के दीए जलाकर
मन में दीवा कीजिए।

तन तो एक दिन हार जाएगा,
परंतु मन की जंग को फ़तह कीजिए।
हर बात की वजह ना ढूँढ़िए,
चंद फ़ैसले बेवजह कीजिए।

ख़ुद से कुछ ना छिपाईए,
अपने दिल से सब कुछ बयाँ कीजिए।
सो चुकी हसरतों को झकझोर कर जगाइए,
अपने मन को युवा कीजिए।

इससे पहले कि वक्त गवा दीजिए,
बची खुची ज़िंदगी को जवाँ कीजिए।
सिर्फ़ बातों से काम न चलाइए,
अपने कर्मों का हक़ भी अदा कीजिए।


रचनाकार : आशीष कुमार
लेखन तिथि : 12 जनवरी, 2022
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