तन मन भीग जाए, मेघा ऐसे बरसो रे।
सुध बुध भूल बैठूँ, मेघा ऐसे बरसो रे।
घनश्याम श्वेत किसी भी रंग में आओ,
मैं रंग जाऊँ उस रंग में, मेघा ऐसे बरसो रे।
मन की शुष्कता हो दूर, मस्ती में हो जाऊँ चूर,
तरबतर हो जाऊँ, मेघा ऐसे बरसो रे।
हिय उपवन में नई कोपलें फूटें,
जुड़ जाएँ दिलों के तार जो हैं टूटे,
मेघा ऐसे बरसो रे।
पीहू-पीहू का हो कलरव चहुँ ओर,
तेरी आस में भीग रही पलकों की कोर।
संभल जाए जीवन की डोर, मेघा ऐसे बरसो रे।
कोई कृषक न हो निराश, चहुँ दिश हो उल्लास,
बुझ जाए चातक की भी प्यास, मेघा ऐसे बरसो रे।
गरज बरज कर न डराओ,
जन जीवन को आनंद से भर जाओ,
मेघा ऐसे बरसो रे।
हो हरियाली सम्पूर्ण धरा पर,
हिंद देश का पूर्ण हो उद्देश्य
सबके जीवन में ख़ुशहाली आए,
मेघा ऐसे बरसो रे... मेघा ऐसे बरसो रे।।
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