मेहरबानी है अयादत को जो आते हैं मगर (शेर)

मेहरबानी है अयादत को जो आते हैं मगर,
किस तरह उन से हमारा हाल देखा जाएगा।


  • विषय :
यह पृष्ठ 179 बार देखा गया है
×

अगली रचना

आह जो दिल से निकाली जाएगी


पिछली रचना

इश्क़ नाज़ुक-मिज़ाज है बेहद


इनकी रचनाएँ पढ़िए

साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।

            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें