मेरा प्रेम (कविता)

मैं जो बोलता हूँ वह मेरा बोला नहीं
उसमें उनकी आवाज़ शामिल है
जो मेरी तरह बोलते हैं

उनके बोलने में प्रेम के अलावा
क्रोध, हिक़ारत और नफ़रत भी है
वे सिरे से बदसूरत करतूतों के ख़िलाफ़ हैं

मेरी आवाज़ में उनके क्रोध की समवेत चीख़ है
और नफ़रत में खौलते ज्वालामुखी की आग
वे इसमें उन्हीं चीज़ों को भस्म करना चाहते हैं
जो इस दुनिया के ख़िलाफ़ हैं

मैं उनके साथ हूँ इसलिए मेरी आवाज़ में उनका बोलना है
मैं अपने से अधिक उनके बोलने को प्रेम करता हूँ।


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