मेरे पापा (कविता)

शान मान और अभिमान हैं पापा।
मेरे जीवन की पहचान हैं पापा।
पापा है तो हर सपने अपने,
हर मुश्किल का आसान हैं पापा।

जर ज़मीन ज़ागीर हैं पापा।
ईश्वर का ही एक रूप हैं पापा।
आपका ये क़र्ज़ चुका सकते नहीं,
इतने हम पर तेरे उपकार हैं पापा।

मेरी हर समस्या का समाधान हैं पापा।
हर शौक जो पूरी कर दे वो आप हैं पापा।
जिनकी साया में रहते हम निडर है,
उस वट वृक्ष की छाँव हैं पापा।

माँ का सिंदूर बेटी की आस हैं पापा।
मेरी हिम्मत और उमंग हैं पापा।
जिसपे पूरा परिवार टिका,
उस घर का विश्वास हैं पापा।


लेखन तिथि : 20 सितम्बर, 2019
यह पृष्ठ 383 बार देखा गया है
×
आगे रचना नहीं है


पिछली रचना

नारी उत्पीड़न
कुछ संबंधित रचनाएँ


इनकी रचनाएँ पढ़िए

साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।

            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें