मेरे युग का नायक (कविता)

कुछ भी नहीं अवैध
कुछ भी नहीं परहेज़
सफलता की राहों में कुछ भी नहीं अस्वीकार
चाहे जैसे हासिल हो—हासिल हो उपलब्धियाँ

एकतरफ़ा विकास मंज़ूर
मंज़ूर हमें
उत्पादन से दूर कोई काल्पनिक कुबेर
सब कुछ मंज़ूर, हमें सब कुछ मंज़ूर

मज़बूत हाथ और नैतिक आत्मा
तुम्हारी ज़रूरत नहीं फ़िलहाल

अहा!
जैसे राजकुमार दिखता है
महीन इच्छाओं और महँगी गाड़ियों का स्वामी
मेरे युग का नायक
मेरे ग़रीब देश का बेटा।


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