मेरी तन्हाइयाँ भी शाएर हैं (क़ितआ)

मेरी तन्हाइयाँ भी शाएर हैं
नज़्र-ए-अशआर-ओ-जाम रहती हैं
अपनी यादों का सिलसिला रोको
मेरी नींदें हराम रहती हैं


रचनाकार : वसीम बरेलवी
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