साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
बरेली, उत्तर प्रदेश
1940
मेरी तन्हाइयाँ भी शाएर हैं नज़्र-ए-अशआर-ओ-जाम रहती हैं अपनी यादों का सिलसिला रोको मेरी नींदें हराम रहती हैं
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