मोहक मधुमय आई होली,
घूम मचाती इत-उत डोली।
मस्ती में डूबा बरसाना,
होली खेलें राधा कान्हा,
सखियाँ करती ख़ूब ठिठोली,
मोहक मधुमय आई होली।
रंगों से भर कर पिचकारी,
खेले सब बालक नर नारी,
निकली है मस्तों की टोली,
मोहक मधुमय आई होली।
नीला पीला लाल हरा है,
रंग गुलाल अबीर भरा है,
सुन्दर लगती है रंगोली,
मोहक मधुमय आई होली।
पकवानों में लगते न्यारे,
सांखें-गुझिया शक्करपारे।
फागुन के मद में हमजोली,
मोहक मधुमय आई होली।
साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।
सहयोग कीजिएरचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें