नैन मिले अनमोल (गीत)

जोगन, नैन मिले अनमोल,
ओस कनों से कोमल सपने
पलकों-पलकों तौल!
जोगन, नैन मिले अनमोल!

इन सपनों की बात निराली,
दिन-दिन होली, रात दिवाली।

इनसे माँग नदी-झरनों के
मीठे-मीठे बोल!
जोगन, नैन मिले अनमोल!

सपनों का क्या ठौर-ठिकाना,
जाने कब आना, कब जाना।

नयन झरोखों से तू अपनी
दुनिया में रस घोल,
जोगन, नैन मिले अनमोल।


रचनाकार : शतदल
यह पृष्ठ 152 बार देखा गया है
×

अगली रचना

तेरी प्यास अमोल


पीछे रचना नहीं है
कुछ संबंधित रचनाएँ


इनकी रचनाएँ पढ़िए

साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।

            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें