नव वर्ष दो हज़ार बाइस (गीत)

दो हज़ार बाइस तुम आओ,
जग में नूतन ख़ुशियाँ लाकर।

परम पिता की सदा दुआ हो,
जग की सुंदर बगिया पर।

दो ख़ुशियों की शुभ सौग़ातें,
सुख के सुंदर दीप जलाकर।

दो हज़ार बाइस तुम आओ,
जग में नूतन ख़ुशियाँ लाकर।

खिलते रहें गुलाब सदा ही,
साँसों की अगणित शाखों पर।

सुंदर अभिलाषाएँ पूरी हों,
नित नवल वर्ष की राहों पर।

दो हज़ार बाइस तुम आओ,
जग में नूतन ख़ुशियाँ लाकर।

परमपिता की सदा दुआ हो
जग की सुंदर बगिया पर।

आँधी बनकर ख़ुशबू बिखरे,
भारत माता के दामन पर।

सपनों की नइया तट पहुँचे,
नित नवल वर्ष के आँगन पर।

दो हज़ार बाइस तुम आओ,
जग में नूतन ख़ुशियाँ लाकर।

परमपिता की सदा दुआ हो,
उनकी सुंदर बगिया पर।


लेखन तिथि : 31 दिसम्बर, 2021
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