नूतन प्रभात नूतन किसलय, नूतन रश्मियों का डेरा हो,
नूतन हैं वर्ष दिवस नूतन, नूतन ख़ुशियों का बसेरा हो॥
जो भी है टीस विगत क्षण की, उन सबको आज विसारे हम,
जो भूले बिछड़े हैं अपने उनको फिर आज सँवारें हम।
इस प्रथम दिवस सा ही सुरम्य हर नूतन दिवस सवेरा हो,
नूतन हैं वर्ष दिवस नूतन, नूतन ख़ुशियों का बसेरा हो।
बस राह सत्य की अपनाए, मिथ्या से नाता तोड़े अब,
हिंसा को मन से दूर करें, सद्भाव प्रेम पथ जोड़े अब।
कुकृत्य वा भ्रष्टाचार कहीं, ना दूर-दूर तक घेरा हो,
नूतन हैं वर्ष दिवस नूतन, नूतन ख़ुशियों का बसेरा हो।
ऋतुराज बसंत संग आ जाएँ न ऊँच नीच का भेद रहे,
इस नूतन वर्ष में छोटों से बूढ़ों तक मन ना खेद रहे।
बस इतनी ही अभिलाषा है, हे रघुवर नहीं ॲंधेरा हो,
नूतन हैं वर्ष दिवस नूतन, नूतन ख़ुशियों का बसेरा हो।
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