देखो-देखो रे नाचे मोर
मैं भी नाचूँगी...
देखो देखो रे नाचे मोर
मैं भी नाचूँगी...
नवरात्रि की धूम मची हैं
करते नमन हम सब जन
थाल सजा के वंदन करते
महिमा पूजें भर मन
तेरी महिमा पूजें भर मन
है गली-गली में शोर
है गली-गली में शोर, मैं भी नाचूँगी।
कमल पाष धर शेर सवारी
लाल चुनरिया तन पर
पाप से मुक्ति दिला दो हमको
आ जाओ धरती पर
माँ आ जाओ धरती पर
जयकार है चारो ओर
जयकार है चारो ओर, मैं भी नाचूँगी।
हे माँ शक्ति, तू ही भक्ति
लीला तेरी निराली
तु ही दुर्गा, सती गौरी है
कालजयी तू काली
माँ कालजयी तू काली
मन होता भाव विभोर
मन होता भाव विभोर, मैं भी नाचूँगी।
नौ दिन तेरी करूँ अर्चना
मोक्ष मुझे मिल जाए
हरड़, आमला, तुलसी, अलसी
भोग से रोग मिटाए
दुनियाँ भोग से रोग मिटाए
ख़ुशियों का ओर ना छोर
ख़ुशियों का ओर ना छोर, मैं भी नाचूँगी।
साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।
सहयोग कीजिएरचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें