नया मार्ग (कविता)

कठिन राह के दुर्गम मार्ग पर,
जाना है तो जाओ।
नई उमंग और नई तरंग,
लेकर वापस आओ।

अपने ख़ुशी के इस अवसर पर,
अतीत के ग़म भूल जाओ,
नई प्रभात के नए किरण में,
क्षितिज को छू जाओ।


रचनाकार : दीपक झा 'राज'
लेखन तिथि : 20 जून, 2001
यह पृष्ठ 169 बार देखा गया है
×

अगली रचना

नई शताब्दी


पिछली रचना

नशा
कुछ संबंधित रचनाएँ


इनकी रचनाएँ पढ़िए

साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।

            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें