साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
दिल्ली, दिल्ली
1938 - 2016
सूरज! इक नट-खट बालक-सा दिन भर शोर मचाए इधर उधर चिड़ियों को बिखेरे किरनों को छितराए क़लम दरांती ब्रश हथौड़ा जगह जगह फैलाए शाम! थकी हारी माँ जैसी इक दिया मलकाए धीमे-धीमे सारी बिखरी चीज़ें चुनती जाए
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