नज़ारे (कविता)

देखते ही खूबसूरत नज़ारे...
एक चित्रकार उतार लेता है
नज़ारों को कैनवास पर,
एक फ़ोटोग्राफ़र क़ैद कर लेता है
उन नज़ारों को कैमरे में,
और
एक कवि अपनी कविता में।।

और मैं...
देखता रह जाता हूँ
उन नज़ारों को,
उन में खोए हुए
दिल में उतारता चला जाता हूँ,
उनमें जीता चला जाता हूँ।


लेखन तिथि : 20 मार्च, 2021
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