साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
झुन्झुनू, राजस्थान
1948
जन्म के समय आँखें थीं बंद मगर जाग रहा था मैं आँखें खुलते ही आने लगी नींद नींद में ही जीवन अंततः जगे विस्फारित आँखें मलते, हिलाते हाथ मुँह बिसूरते लपकते प्रकाश-गति से श्याम विवर में होते अदृश्य।
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