देह आकर्षण बनी तो
नेह में संदेह होगा!
देह को सौंदर्य सींचे
और सबकी दृष्टि खींचे
दीखती हो देह सम्मुख
आँख खोले, आँख मींचे
देह से ही प्यार जन्मा
प्यार से अधिकार जन्मा
और जब अधिकार-घन में
तड़ित्-शंकित मेह होगा!
नेह में संदेह होगा!
देह के बिन, प्यार कैसा
प्यार, बिन अभिसार कैसा
और प्रिय अभिसार के बिन
देह का शृंगार कैसा
गंध है छवि तन-सुमन में
यदि सुमन के, मन-भुवन में
वासना का गेह होगा!
नेह में संदेह होगा!
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