पीतल के परात में मत खोजना मुझे
मत खोजना फूल-बेल-पत्रों के नीचे
अँजुरी-भर जल में
जैसे अनतफल
मेरी लिए पहाड़ पर मत जाना
मत देखना नदी का गाँव
परेशान मत होना मेरे लिए
अँधेरे में
कुछ टटोल रहे होंगे तुम्हारे हाथ
दिराखे पर मिल जाऊँगा मैं
कविताओं के साथ
मुझे देखकर
हँसी आएगी तुम्हें कि
तुमने ही भरा था ढिबरी में तेल
तुमने ही रख दी थी वहाँ माचिस।