पर्यावरण (कविता)

चलो बचाएँ प्रकृति धरा को,
वृक्षारोपण मिल साथ करें।
बाढ़, भूकम्प तूफ़ाँ कहर ताप,
पर्यावरण प्रदूषण मुक्त करें।

हवा सलिल विषाक्त बह रही,
स्वच्छता अभियान साथ करें।
कूड़े कर्कट कूड़े दानी रख,
धरती वायु प्रदूषण दूर करें।

कोटि कोटि वाहन ध्वनियाँ पथ,
ध्वनि प्रदूषण से प्रजा जगाएँ।
उद्योगों से निसृत धूँओं से,
मिल पर्यावरण साथ बचाएँ।

जहरीली हवा से रुके श्वाँस,
दिल धड़कन को सदा बचाएँ।
सूख रही आतप जल धरती,
पर्यावरण हित वृक्ष लगाएँ।

हो पर्यावरण जब स्वच्छ सजल,
हरियाली धरती पर आए।
गिरि सरिता सर तरु कानन सब,
भू जल वायु पूर्णता पाए।


लेखन तिथि : 5 जून, 2024
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