साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3563
मधुबनी, बिहार
1380 - 1460
पीन पयोधर दूबरि गता। मेरु उपजल कनक लता॥ ए कान्ह ए कान्ह तोरि दोहाई। अति अपरुब देखलि राई॥ मुख मनोहर अधर रंगे। फुललि मधुर कमल संगे॥ लोचन जुगल भृंग अकारे। मधु मातल उड़ए न पारे॥ भउँहुक कथा पूछह जनू। मदन जोड़ल काजर-धनू॥ भन विद्यापति दूति बचने। एत सुनि कान्ह करु गमने॥
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