पहले भी आया हूँ (कविता)

जैसे इन जगहों में पहले भी आया हूँ
बीता हूँ।
जैसे इन महलों में कोई आने को था
मन अपनी मनमानी ख़ुशियाँ पाने को था।
लगता है।
इन बनती-मिटती छायाओं में तड़पा हूँ
किया है इंतज़ार
दी हैं सदियाँ गुज़ार
बार-बार
इन ख़ाली जगहों में भर-भर कर रीता हूँ
रह-रह पछताया हूँ
पहले भी आया हूँ।
बीता हूँ।


रचनाकार : कुँवर नारायण
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