साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
सीतामढ़ी, बिहार
1996
पेश-ए-नज़र मेरे था दीशब एक वो रू-ए-रौशन, गोया मह-ओ-अंजुम था उनके रू-सफ़ेदी से रौशन।
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