फगुनाई ठौर है (नवगीत)

फागुन के रंगों में
एक रंग और है!

रंग है मधुमास का!
हताशा में आस का!!
उड़ती हवाइयों में,
रंग है परिहास का!!

गंध का हिंडोला है
आमों मे बौर है!

कई रंग फूलों में!
रंग है बबूलों में!!
नदिया की लहरों में,
मीठी सी भूलों में!!

आस पास झुरमुट है
फगुनाई ठौर है!


लेखन तिथि : 2019
यह पृष्ठ 31 बार देखा गया है
×


इनकी रचनाएँ पढ़िए

साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।

            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें