फूल और भौंरे (कविता)

बाग में खिले फूल,
भौंरों को बुला रहा।
अपनी रमणीक सौंदर्य से,
हम सबको लुभा रहा।
अपने रंग-बिरंगे रंग से,
बग़ीचे को मनमोहक बना रहा।
फूलों को देख भौंरों पर,
मानो मादकता छा गया।
पलभर में गुनगुनाता हुआ,
फूलों के आग़ोश में आ गया।
फूलों पर भौंरों के स्पर्श से,
मानो अमृत बरस गया।
जितने चाव से भौंरे नृत्य करते रहे,
उतने प्यार से फूलों ने रस निकालते गए।
ऊधम मचाते भौंरों ने परागण किया,
मस्ती से पुष्प-रस का भोजन किया।
तृप्त हुए दोनों एक-दूसरे को,
जीवन को आगे बढ़ाने में मदद किया।
दुनिया की कहावत को चरितार्थ किया,
सहयोग से दो जीवों का उद्धार हुआ।


लेखन तिथि : 4 फ़रवरी, 2022
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