साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
बेंगलुरु, कर्नाटक
1998
पिता का 49वाँ जन्मदिन उम्र के साथ उनके चेहरे पर लटकी मुस्कान को मैंने उनकी उम्र से आधी होते हुए देखा। माथे की शिकन जिसने कभी बैठना नहीं सीखा था वह पिता की उम्र से दुगुनी हो चुकी है। रिटायरमेंट तक पहुँचने से पहले ही पिता मना चुके होंगे अपनी शिकन की डायमंड जुबली।
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