साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
कटनी, मध्य प्रदेश
1966
पड़ता है अब लू लपटों का जमकर चाँटा! सूरज ज्वालामुखी है किरने लावा! पोखर ठोंके कोर्ट में जल का दावा! ताल हुए डबरे गर्मी ने ऐसा डाँटा! छाँव भी पेड़ों से माँग रही पनाह! मन के आँगन में घुसकर बैठी डाह! इसी वजह से मौसम को ॠतुओं में बाँटा!
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