आकाश में चिड़ियाँ नहीं, उड़ती हैं प्रार्थनाएँ जंगल की।
कई बार अकेले-अकेले, जोड़े में या क़तारों में
टापू पर, पहाड़ पर पड़ती है उनकी छाया
और विस्तृत मैदान पसीजते हैं
उड़ती हैं चिड़ियों की शक्ल में
कोटर की, घोंसले की मार सारी चिंताएँ
चिंताओं का रंग देखकर बदलता है आकाश का रंग
शुभ्र, उजला, नीला, गेरुआ, धूसर और काला
चिड़ियों की चिंताओं का रंग कैसा होता है?
किसी कोटर, किसी घोंसले में
पैदा होती इच्छाएँ
चिड़ियों की नन्हीं आँखों में समाई
याकि उसके डैनों पर सवार
उड़ती रहती हैं अछोर आकाश में
कहीं से कहीं तक
इच्छाओं का रंग कैसा होता है?
अभी हो रही है बारिश, कौंध रही है बिजली
भीग रहे हैं वृक्ष, कोटर, घोंसले, उनकी इच्छाएँ
और भीगी हुई चिंताएँ समेटे
सिमटी बैठी हैं चिड़ियाँ। आँखें मूँदे प्रार्थना की मुद्रा में
प्रसन्न हैं देवता। हो रही है बारिश।
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