प्रेम की गालियाँ (कविता)

तुम्हें औषध मिले, पीर न मिले
दृष्टि मिले, दृश्य न मिले
नींदें मिलें, स्वप्न न मिले
गीत मिलें, धुन न मिले
नाव मिले, नदी न मिले

प्रिय!
तुम पर प्रेम के हज़ार कोड़े बरसें
तुम्हारी पीठ पर एक नीला निशान तक न मिले


रचनाकार : बाबुषा कोहली
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