प्रेम सकल श्रुति-सार है (दोहा छंद)

प्रेम सकल श्रुति-सार है, प्रेम सकल स्मृति-मूल।
प्रेम पुरान-प्रमाण है, कोउ न प्रेम के तूल॥


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