प्रिय पत्नी पवित्र प्रेम पारावार पाकर,
जीवन पहेली प्रियतम पार किया है।
परिवार पालन पोषण प्रेरणा पति की,
सुख संग जीवनसाथी जीवन जिया है॥
समानता सरसता सुहृदता से सजनी,
स्वर्ग-सा सुहावना सदन सब किया है।
'मारुत' महिला क्षमाशील करुणा आगार,
मृदु प्रेमपूर्ण वचन पीयूष पिया है॥

साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।
सहयोग कीजिएप्रबंधन 1I.T. एवं Ond TechSol द्वारा
रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें
