प्रिये, अब तुम आ जाओ (गीत)

तड़प रहा हृदय ये मेरा,
सूरत तो दिखला जाओ।
साँझ हो रही मन मधुबन में,
प्रिये, अब तुम आ जाओ।
कितने दिवस यूँ चले गए,
कितनी रातें हैं बीत गईं।
हमारे इस प्रेमयुद्ध में,
माना तुम्हारी जीत हुई।
भूलकर पिछली बातों को,
दिल से गले लगा जाओ।
साँझ हो रही मन मधुबन में,
प्रिये, अब तुम आ जाओ।
हृदय में उठता तूफ़ान,
मिलने की चाह बढ़ाती है।
स्मृति में तेरी भोली सूरत,
आँखें अश्रु भर लाती है।
तुझ बिन है जीवन सुना,
दिल को कोई आराम नही।
एक काम, तुझे याद करना,
इसके सिवा कोई काम नही।
सिंचित कर निज प्रेम-नीर से,
पुनः बगिया महका जाओ।
साँझ हो रही मन मधुबन में,
प्रिये, अब तुम आ जाओ।


रचनाकार : प्रवीन 'पथिक'
लेखन तिथि : जुलाई, 2021
यह पृष्ठ 241 बार देखा गया है
×

अगली रचना

प्यार वही है


पिछली रचना

जब तेरी याद आती है
कुछ संबंधित रचनाएँ


इनकी रचनाएँ पढ़िए

साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।

            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें