साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
दौसा, राजस्थान
1990
पुराने ठाँव से रहती है लिपटी ग़रीबी गाँव से रहती है लिपटी हमारे खेत की मिट्टी है साहिब हमेशा पाँव से रहती है लिपटी उसे पानी से नफ़रत हो गई क्या ये मछली नाँव से रहती है लिपटी वो मेरी जान है 'राही' जो मेरे बदन की छाँव से रहती है लिपटी
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