ज़िंदगी के रास्ते पर चलते हुए
अचानक एक दिन प्रतिरोध आता है
विपतियों का पहाड़ टूट पड़ता है
ऐसे समय में यह निश्चय कर पाना
कि हमारा जीवन
विभीषिकाओं के जंगल में जल रहा है
हमारे संघर्षों की प्यास बढ़ जाती है।
साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है।
आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।