राधे बिन गोविन्द कहँ (दोहा छंद)

यदुनंदन ऋषिकेश प्रभु, बसे यमुन के तीर।
राधा दौड़़ी गल मिली, भरी आँख में नीर।।

भव्य मनोहर रूपसी, नीर भरी लखि नैन।
कमलनैन मुरली बजे, मिली राधिका चैन।।

राधे-राधे मम प्रिये, माधव भाव विभोर।
मैं कान्हा तेरा प्रिये, करो नहीं मन घोर।।

उषाकाल तुम अरुणिमा, राधे तुम मुस्कान।
राधे बिन गोविन्द कहँ, मुरलीधर जग मान।।

कवि निकुंज मन प्रेमरत, भक्ति सरसि सुखधाम।
नंदलाल प्रिय राधिका, सफल जन्म अभिराम।।


लेखन तिथि : 4 मई, 2021
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