साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
चूरू, राजस्थान
1919 - 2008
भले ही फूँकते रहो बाँसुरी बिना धरे छिद्रों पर उँगलियाँ नहीं निकलेगी प्रणय की रागिनी!
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