रंग इस मौसम में भरना चाहिए (ग़ज़ल)

रंग इस मौसम में भरना चाहिए,
सोचती हूँ प्यार करना चाहिए।

ज़िंदगी को ज़िंदगी के वास्ते,
रोज़ जीना रोज़ मरना चाहिए।

दोस्ती से तजरबा ये हो गया,
दुश्मनों से प्यार करना चाहिए।

प्यार का इक़रार दिल में हो मगर,
कोई पूछे तो मुकरना चाहिए।


रचनाकार : अंजुम रहबर
यह पृष्ठ 240 बार देखा गया है
×
आगे रचना नहीं है


पिछली रचना

मिलना था इत्तिफ़ाक़ बिछड़ना नसीब था
कुछ संबंधित रचनाएँ


इनकी रचनाएँ पढ़िए

साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।

            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें