सफ़र (कविता)

बहुत कठिन है यहाँ सवार होना
समय के साथ

कैसे मिलेगी पाँव भर जगह
ऊपर से नीचे तक भरे
पायदानों पर खड़े
लटककर चल रहे हैं इतने सारे लोग

एक ही छिलके में
मकई के दाने की तरह खड़े और बैठे
तय कर रहे हैं यात्रा की दूरी

हर पड़ाव पर
चूल्हे पर चढ़े दूध-सा जैसे फफक उठता है जीवन
हर एक बूँद के नीचे हिल जाता है
यह समुद्र

एक ही हवा है हज़ार-हज़ार साँसों में
हज़ार-हज़ार लोगों की एक ही दिशा
सफ़र के बहाने मिला है
हज़ार-हज़ार लोगों का साथ

पहली बार
पहली बार मेरे पाँवों को मिला है
पायदान
इतने सोर लोग पहली बार दिखे हैं
इतने पास।


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