सख़्त शहर नहीं क़बीले हैं (सजल)

सख़्त शहर नहीं क़बीले हैं।
हरकत से ढीले-ढीले हैं।।

लगे हुए जो घर के सम्मुख,
कनेर वे पीले-पीले हैं।

बादाम-दशहरी या चौसा,
यहाँ आम बहुत रसीले हैं।

थाने वाले वे हैं अफ़सर,
स्वभाव से वो रंगीले हैं।

मान-मनौव्वल करवाते हैं,
या ज़िद्दी और हठीले हैं।


लेखन तिथि : 2021
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